पिछले दिनों गुजरात के अहमदाबाद स्थित गुजरात विद्यापीठ जाने का अवसर मिला और वहीं पर स्थित मोरारजी देसाई संग्रहालय को भी देखने को मिला। संग्रहालय में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई के जीवन से जुडी अनेक स्मृतियों से रूबरू होने का यह अविस्मरणीय अवसर था। संग्रहालय से अनेक तस्वीरें भी ली जिसमें पहली तस्वीर में श्री देसाई को भारत रत्न से नवाजा गया ।
दूसरी तस्वीर : श्री देसाई अपने स्वास्थ्य के प्रति भी उतने ही जागरूक थे जिसकी वानगी इस तस्वीर में देखने को मिलती हे। एक्यूप्रेशर के जिन साधनों का प्रयोग वे करते थे उनको इस संग्रहालय में सहेज कर रखा गया है।
जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि श्री मोरारजी देसाई (29 फरवरी, 1896 – 10 अप्रैल, 1995) (गुजराती: મોરારજી રણછોડજી દેસાઈ) भारत के स्वाधीनता सेनानी और के छ्ठे प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बजाय अन्य दल से थे। श्री देसाई एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया।
यह तीसरी तस्वीर है जो कि टेलिफोन डायरी है। उस जमाने में भी आधुनिक डायरी थी जो अल्फाबेट के आधार पर ही खुलती थी। वे इसमें स्वजनों और महत्वपूर्ण नंबरों को अपने पास ही रखते थे।
मोरारजी सेसाई का जन्म तत्कालीन बाम्बे प्रेसिडेंसी के बलसाड़ के भदेली में हुआ था। यह अब गुजरात में है। विल्सन कॉलेज, मुम्बई से स्नातक उतीर्ण करने के बाद वे गुजरात में सिविल सेवा में भर्ती हुए। सन् १९२४ में अंग्रेजों की नौकरी छोड़ दी। सन् १९३० में उन्होने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिये उन्हें जेल जाना पड़ा और उन्होने कई वर्ष जेल में बिताये। अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चहेते रहे और गुजरात कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता रहे।
जब सन् १९३४ और सन् १९३७ में प्रान्तीय परिषदों के चुनाव हुए तो वे चुने गये तथा उन्होने बांबे प्रेसिडेंसी में वित्त मंत्री (Revenue Minister) एवं गृह मंत्री का दायित्व निभाया।
दायीं तरफ जो तस्वीरें दिखाई दे रहीं हैं उनमें एक 11 जनवरी 1930 को गुजरात विद्यापीठ में आयोजित दीक्षांत समारोह की है जिसमें आचार्य नरेन्द्र देव और महात्मा गांधी मंच पर आसीन हैं,
इसी प्रकार 29 अक्टूबर 1950 को आयोजित दीक्षंत समारोह में सरदार वल्लभ भाई पटेल अध्यक्षता कर रहे हैं और 1954 में आयोजित दीक्षांत समारोह की है जिसकी अध्यक्षता डॉ राजेन्द्र प्रसाद कर रहे हैं । बडे ही दुर्लभ फोटो हैं जिन्हें सहेज कर संग्रह करने को मन करता है। श्री देसाई के जीवन से जुडी कुछ अन्य तस्वीरें मैंने अपने ऑरकुट अकाउंट पर डाल रखी है। अनुसंधित्सुओं और जिज्ञासुओं का स्वागत है।
3 comments:
नमस्कार
आपकी झांकी श्रेष्ठ है। बधाई। आपकी प्रतिक्रिया का अभी भी इंतजार है।
sir now its look like you seriously work on your blog it look nice.
good piece of writing.
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