
Wednesday, January 7, 2009
मोढेरा का सूर्य मंदिर

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पुराने समय में हर शहर की सुरक्षा के लिए शहर कोट हुआ करती थी और उसके दरवाजे हुआ करते थे। जो दरवाजा पूर्व की ओर खुलता था उसे सूरजपोल कहते थे। पूर्वाभिमुख होने के अनेक विवेचन देखने को मिलते हैं तथापि जो भाव है वह है उगता हुआ, अग्रगामी, विकसित होता हुआ, उज्ज्वल भविष्य की ओर आदि आदि। इन्हीं भावनाओं से प्रेरित हो इस ब्लॉग का निर्माण किया है।
8 comments:
ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है!
मेरी शुभकामनाएं!
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
Acchi jankari di aapne. swagat apni virasat ko samarpit mere blog par bhi.
स्वाग़त है आपका!
ब्लोगिंग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है. आपका लेखन फले-फूले और आपके शब्दों को नित नए अर्थ और रूप मिलें यही शुभ कामना है.
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
आपके दोनों लेख संक्षिप्त और ज्ञानवर्धक हैं । दी गई जानकारी बहुत अच्छी है। स्तर अच्छा बनाए रखें ।
vaah guru
blog likhna shuru kya kiya
badon badon ko chela banana shuru kar diya hai
thanks
i hope aap jari rakhenge
rajabeta
Dear Sir,
Nice to see your Blog on net. “Surajpole” is really a good concept. Keep update your Blog regularly. You have many more good creations; please publish in your Blog.
Thanking you & Best Regards,
Vibhuti Pandya
www.vibhutipandya.blogspot.com
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