पिछले दिनों पाटन से करीब 30 किलोमीटर दूर मोडेरा के सूय्र मंदिर को देखने का अवसर मिला। यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही पुरा महत्व की दृष्टि से भी अधिक महत्व का है। यह बात अलग है कि सूर्य मंदिर में सूर्य की प्रतिमा ही नहीं है। कहते हैं मुगलों के आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दी गई। यहां का स्थापत्य पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। किन्तु वास्तुविदों का मानना है कि संरक्षण के अभाव में इसका क्षरण होता जा रहा है। यह तस्वीर मंदिर के बाहर बनी बावडी की है किन्तु इसमें जो पानी भरा है वह गंदा है और विशेषज्ञों का मानना है कि इस पानी को साफ रखना आवश्यक है अन्यथा इसकी गंदगी स्थापत्य को नुकसान पंहुचा सकती है।
Wednesday, January 7, 2009
Tuesday, January 6, 2009
पुरा महत्व की नगरी – पाटन (उत्तर गुजरात)
पिछले दिनों में उत्तर गुजरात के ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करने का अवसर मिला। अनेक ऐसे पुरा महत्व के स्थ्ाल देखने को मिले जो संरक्षण के अभाव में जर्जर हो रहे हैं। पुरा संपदाओं के सरंक्षण की ओर अभी और भी चिन्ता करने की आवश्यकता है। अभी इन दिनों में पाटन में हूं जो पहले कभी गुजरात की राजधानी हुआ करती थी। जिस प्रकार मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया गया उसी तरह यहां भी यहां की रानी ने अपने पति की याद में बावडी बनवाई। सात मंजिला यह बावडी एक बार फिर खुदाई के दौरान बाहर निकाली गई है। विशिष्ट कलाकृतियों को बखूबी से उकेरा गया है। यदि थोडा और प्रयास किया जाए तो संभवत इसे भी वर्ल्ड हेरिटैज साइट में स्थान मिल सकता है। कुछ तस्वीरें मैंने अपने ऑरकुट अकाउंट पर डाली है। विशेष जानकारी चाहने पर मैं व्यक्तिगत तौर पर मदद कर सकता हूं।
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